राजस्थान का सियासी परिवार फिर आमने सामने ,नागौर में 39 साल पहले हुआ था 'मिर्धा बनाम मिर्धा' का मुकाबला, अब चाचा भतीजी आमने-सामने
नागौर टुडे डेस्क
रिपोर्ट रमेश जाजडा
राजस्थान में विधानसभा चुनावों को लेकर बीजेपी और कांग्रेस ने अपना पूरा दम लगा दिया है. नागौर सीट पर होने वाला चुनाव रोचक होने वाला है, क्योंकि यहां कांग्रेस ने चाचा को टिकट दिया है, तो बीजेपी ने उनकी भतीजी को चुनावी रण में उतारा है. प्रदेश में आगामी 25 नवंबर को मतदान होने जा रहा हैं. अब कौन किस पर भारी पड़ता है ये 3 दिसंबर को चुनावी नतीजों के साथ तय होगा.
1984 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में सहानुभूति की प्रचंड लहर थी. इसके बावजूद राजीव गांधी को राजस्थान के नागौर से एक ऐसे मजबूत उम्मीदवार की तलाश थी जो नाथूराम मिर्धा को का मात दे सके. उन्होंने रामनिवास मिर्धा को टिकट दिया और मिर्धा परिवार के दो दिग्गजों के उस मुकाबले में नाथूराम मिर्धा को शिकस्त मिली ,1984 में नाथूराम मिर्धा ने लोकदल से नागौर सीट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन रामनिवास मिर्धा ने इससे पहले कभी लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा था. वे 1967 से लगातार राज्यसभा के लिए निर्वाचित होते रहे थे, लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ा और 48 हजार से ज्यादा वोटों से नाथूराम मिर्धा को हरा दिया. वह पहला मौका था जब जाटलैंड के इस रसूखदार राजनीतिक घराने के दो दिग्गज आमने-सामने थे और अब 39 साल बाद उसी नागौर में मिर्धा परिवार के दो नेता एक-दूसरे को चुनौती दे रहे हैं. इस बार विधानसभा चुनाव में मुकाबला मिर्धा परिवार से ताल्लुक रखने वाले चाचा और भतीजी के बीच है.नागौर विधानसभा क्षेत्र में करीब 2 लाख 64 हजार मतदाता हैं. इनमें मुस्लिम और जाट मतदाता निर्णायक माने जाते हैं. राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए 25 नवंबर को मतदान होगा.
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